1 सही विकल्प चुनें।
1 जनजातीय समाज के लोग आम भाषा में क्या कहलाते थें?
उत्तर:- आदिवासी
2 दिकू किसे कहा जाता था?
उत्तर:- गैर आदिवासी
3 बिरसा मुंडा किस क्षेत्र के निवास थें?
उत्तर:- छोटानागपुर
4 गिडाल्यू ने अंग्रेजी सरकार की दमनकारी कानूनों को नहीं मानने का भाव जनजातियों में जगाकर गांधीजी के किस आंदोलन ने जनजातिय आंदोलन को जोड़कर एक सफल प्रयास किया?
उत्तर:- सविनय अवज्ञा आंदोलन
5 झारखंड राज्य किस राज्य के विभाजन के परिणाम स्वरूप बना था?
उत्तर:- बिहार
2 निम्नलिखित को जोड़ें बनाएं।
1 जदोनांग ------------ जेलियांगरांग आंदोलन
2 बिसरा मुंडा -----------सिंगबोगग
3 कन्ध जाति --------उड़ीसा
4 टिकेंद्र जीत सिंह -------- मणिपुर
5 जतरा भगत ------------- ताना भगत आंदोलन
1 आठरवीं शताब्दी में जनजातिय समाज के लिए जंगल की क्या उपयोगिता थीं?
उत्तर:- 18वीं शताब्दी में जनजातीय समाज पूर्णतः था।
जंगलो पर निर्भरता थे। जंगलों में व उसके आस-पास रहते थे वह दैनिक उपयोग के लिए अधिकांश जरूरत की सामान्य थी वह जंगल से प्राप्त करते थे जंगलों को साफ कर खेती योग्य जमीन तैयार करते थे पशुपालन करते थे वे चारा भी जंगलों से मिलता था उनके घर भी जंगल में होते थे व लकड़ियों के बने होते थे तात्पर्य है कि जनजातीय समाज अपनी आजीविका का अस्तित्व ही जंगल पर निर्भर था जंगल की उपयोगिता उनके सारे कामों के लिए थे वे जंगल पर पूर्णता ही निर्भर थे।
2 आदिवासी खेती के लिए किन तरीकों को अपनाते थे।
उत्तर:- आदिवासियों की खेती का तरीका बिल्कुल अलग था।
पहाड़ी क्षेत्रों पर रहने वाले आदिवासी "झूम खेती" की विधि अपनाते थे इसके इसके अंतर्गत वे जंगल के किसी भाग को काट छांट कर साफ करते दो-तीन वर्षों तक उस जगह पर खेती करने के बाद जब उस जगह की उर्वरा शक्ति समाप्त हो जाती है तो वह किसी और स्थान पर यही प्रक्रिया दुहराते थे कुछ वर्षों तक परती छोड़ देने के बाद पहले की जगह पर वापस जंगल आ जाता था इससे उनकी खेती का काम भी हो जाता था और जंगल को भी कोई नुकसान नहीं होता था इस विधि को "घुमक्कड़ कृषि" विधि के नाम से भी हम जानते हैं।
3 गैर आदिवासियों एवं अंग्रेजों के प्रति आदिवासियों का विरोध क्यों हुआ?
उत्तर:- अंग्रेज ज्यादा से ज्यादा लगन प्राप्त करने के लिए जंगलों तक पहुंच गया उन्होंने आदिवासियों को उनकी जमीन से बेदखल कर दिया आदिवासी मानते थे कि उनके पूर्वज जंगलों को साफ कर उससे खेती लायक बनाएं इसलिए जमीन के मालिक वे स्वयं है इसके लिए उन्हें किसी भी तरह की लगान देने की आवश्यकता नहीं है जबकि अंग्रेज ने नई लगान व्यवस्था के तहत उनके द्वारा जोति- जाने वाली जमीनों को सरकारी दस्तावेज में दर्ज कर लिया और उनके ऊपर अन्य किसानों की तरह लगान की राशि तय कर दी अलग-अलग जमीनों पर खेती करने कि उनको आजादी नहीं थी सरकारी कर्मचारी के उन पर पहुंचने पर उन पर बुरा असर हुआ इसका प्रभाव बुरा असर हुआ कर्ज लेने वाले की संख्या बढ़ती गई उनके क्षेत्रों में गैर आदिवासी सेठ महाजन सूदखोर का प्रवेश यह महाजन साहूकार हमेशा इस प्रयास में रहते थे कि जमीनों को हथियाजाए और बंधुआ मजदूर बनाया जाए अतः गैर आदिवासी अंग्रेजों द्वारा अपनाई गई शोषण और जुल्म की नीतियों के खिलाफ प्रतिरोध और शस्त्र उठाने को विवश हो गए।
4 "वन अधिनियम" ने आदिवासियों को किन अधिकारों को छीन लिया?
उत्तर:- तेजी से खत्म होते जंगल की समस्या को हल करने के लिए अंग्रेजी सरकार ने 1864 में "वन विभाग" की स्थापना की एवं सन 1865 में वन अधिनियम भी बनाया।
वनअधिनियम के तहत वृक्षारोपण की सुरक्षा के लिए तथा पुराने जंगल को बचाने के लिए ढेरों नियम बनाए गए इन का सबसे ज्यादा असर यह हुआ कि आम लोगों और आदिवासियों को जंगल पर परंपरागत अधिकार था वह छिनने लगा ।
वे अब अपनी मर्जी से लकड़ी काटने जानवर चराने फल - फूल इकट्ठा करने व शिकार करने के लिए जंगलों में नहीं जा सकते थे यहां तक कि जंगलों में उनके प्रवेश को भी वर्जित कर दिया गया अभी तक अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए आदिवासी काफी कुछ जंगलों पर ही निर्भर थे लेकिन अब उस पर अंग्रेजी सरकार का प्रतिबंध लगा दिया था।
5 ईसाई मिशनरियों ने आदिवासी समाज में असंतोष पैदा कर दिया ,कैसे?
उत्तर:- आदिवासियों को शिक्षा देने के उद्देश्य ईसाई मिशनरियों का भी उनके इलाकों में आगमन हुआ। ईसाई आई मिशनरियों का वास्तविक उद्देश्य जनजाति क्षेत्रों पर अपना वर्चस्व स्थापित करना उनका धर्म परिवर्तन करना था उन्होंने आदिवासियों के धर्म की संस्कृति में आलोचना करना शुरू कर दिया और बहुत से आदिवासियों को धर्म परिवर्तन कर डाला जाए में जिन्होंने उन्हें यह प्रलोभन दिया कि वह सेठ साहूकारों और महाजनों से उनकी रक्षा करेंगे परंतु वास्तविकता कुछ और ही थी यह मिशनरियां सेठ साहूकार जमींदार बिचौलियोंए के साथ मिलकर आदिवासियों का खूब आर्थिक और शारीरिक शोषण करते थे इन्हीं कारणों से आदिवासी समाज में ईसाई मिशनरियों से प्रति असंतोष पैदा हुई अंग्रेजों और गैर आदिवासियों के खिलाफ आदिवासियों ने जगह-जगह अस्त्र शस्त्र उठा लिया।
6 बिरसा मुंडा कौन थे? उन्होंने जनजातिय समाज के लिए क्या किया?
उत्तर:- बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 1874 ई को छोटानागपुर प्रमंडल के तमाड़ थानाअंतर्गत उलीहतु गांव में हुआ था एक छोटे से क्षेत्र में चलकद में हुआ था ।
उनके पिता का नाम सुगना मुंडा और माता का नाम कदमी था ।
बिरसा की शिक्षा दीक्षा चाईबासा के जर्मन मिशन स्कूल में हुई थी ।
शुरू में कुछ
मुंडाओं के साथ मिलकर उसने ईसाई धर्म को स्वीकार कर लिया और बाद में ईसाई धर्म से अंसतुष्ट होकर फिर बन गया उसके मन में अंग्रेजों और जमींदारों के प्रति आक्रोश की भावना ने मुंडा विद्रोह में जन्म दिया सन् 1895 में बिरसा मुंडा को उनके कुलदेवता सिंगबोगा से एक नये धर्म का प्रतिपादन की प्रेरणा मिली जिसके अनुसार उसने अपने आप भगवान घोषित कर दिया अंग्रेजी शासन का अंत करने का बीड़ा उठाया अपने अनुयायियों के साथ अंग्रेजों से लड़ाई करते-करते रांची में एक जेल 2 जून, 1990 को हैजा की बीमारी से उनकी मृत्यु हो गयी।
7 अंग्रेज सन्थलो का शोषण किस तरह किया करते थे?
उत्तर:- अंग्रेज सन्थलो का हर प्रकार से शोषण किया करते थे।
उन्होंने सबसे पहले तो नई लगान व्यवस्थाओ के तहत उनकी अपनी जमीन से बेदखल कर दिया फिर उन्होंने लगान की भारी राशि चुकाने के लिए असमर्थ बना दिया जमीन को नीलाम कर दिया आदिवासी को उनके वन अधिनियम बनाकर जंगलों का उपयोग करने से वंचित कर दिया कभी जो स्वतंत्र और अपनी जमीन के मालिक थे अंग्रेजों ने उन्हें बंधुआ मजदूर बनाकर रख डाला और उन्हें अपनी जमीन से और जंगलों से बेदखल किया अंग्रेजों ने संथालो का आर्थिक, शारीरिक, मानसिक हर प्रकार से शोषण किया था।
8 जादोंनंगो कौन था ? उसकी उपलब्धियों के विषय में बताइए।
उत्तर:- उत्तर पूर्व भारत में मणिपुर में जेमेई, लियांगमेई एवं रांगमेई नामक नागा जनजाति की बहुलता थी।
जादोंनांग रांगमेई जनजाति का नेता था ।
उसके नेतृत्व में 1920 में जनजातीय लोगों ने विद्रोह का झंडा खड़ा किया। उपरोक्त तीन जनजातियों के नाम पर इस आंदोलन को जेलियारांगआंदोलन का नाम दिया गया ।
जादोनांग ने सर्वप्रथम इन तीन जनजातियों में एकता स्थापित कर अंग्रेज एवं गैर आदिवासियों को बाहर खदेड़ने का राजनैतिक कार्यक्रम बनाया ।
खास बात यह भी कि उनका आंदोलन आगे चलकर गांधीजी द्वारा चलाए गए ।
सविनय अवज्ञा आंदोलन के साथ जुड़ गया।
9 जनजाति विद्रोह में महिलाओं की भूमिका का वर्णन करें।
उत्तर:- जादोनांग की तेरह वर्षीय चचेरी बहन गिण्डाल्यू ने अपने भाई भूमिगत योजना के तहत नागा राज्य की स्थापना के प्रयास में उनका साथ दिया।
एक हत्या के मामले में जब जादोनांग को फांसाकर अंग्रेजों ने 29 अगस्त 1929 को उसे फांसी पर चढ़ा दिया ।
तो गिंडाल्यू ने आंदोलन को जारी रखा ।
1932 में इस आंदोलन को दबाकर गिंडाल्यू को आजीवन कारावास की सजा दिए सन 1947 में आजादी मिलने के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया अंग्रेज सरकार की दमनकारी कानूनों के प्रति जनजातियों में अवज्ञा का भाव जगाया और इस प्रकार वह गांधीजी के सविनय अवज्ञा आंदोलन का मुख्य धारा में अपने आंदोलन को जोड़ने में सफल रहे आदिवासी महिलाओं के उपनिवेश के खिलाफ आदिवासी विद्रोह में महिलाएं सैनिक कार्रवाई करने से लेकर विद्रोह का नेतृत्व में राधा, हीरा, फूलों , झनो, विरसा मुडा के दोस्त गया मुंडा की पत्नि मानी बुई बेटी थीगा गई और अंग्रेजो के खिलाफ तलवार और लोहे की छड़ का प्रयोग किया।
10 जनजातीय समाज की महिलाओं का घरेलू उद्योग क्या था?
उत्तर:- जनजातीय समाज की महिलाएं घरों में चटाई बनाती बुनाई करती और वस्त्र बनाने का काम करती है रेशम और लाख उद्योगों में भी अपने पुरुषों का पूरा सहयोग करती थीं।
Vikram kumar
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