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ग्रामीण जीवन और समाज अध्याय -3 कक्षा 8 सामाजिक विज्ञान इतिहास

ग्रामीण जीवन और समाज अध्याय- 3 कक्षा 8 सामाजिक विज्ञान इतिहास

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 1 बिहार में अंग्रेजो के समय किस तरह की भूमि व्यवस्था अपनाई गईं।
उत्तर:- स्थानीय बंदोबस्त
2 अंग्रेजों के आने के पहले भूमि का मालिक कौन होता है।
उत्तर:- राजा
3 रैयतवारी व्यवस्था में जमीन का मालिक किसे माना गया? 
उत्तर:- किसान
4 अंग्रेजी शासन द्वारा भारत में अपनाई गई नई भूमि व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य क्या था?
उत्तर:- अपनी आय बढ़ाना

2 निम्नलिखित को जोड़ें बनाएं
1 महालवारी ---–-----------–-- पंजाब
2 नील दर्पण-------–--–--- दीनबंधु मित्र
3 नकदी फसल------–----- बिहार
4 स्थानीय भूमि व्यवस्था-------1793

1 अंग्रेजी शासन के पहले भारतीय भूमि व्यवस्था व लगान प्रणाली के विषय में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:- अंग्रेजी शासन के पहले राज्य की सूची जमीन का मालिक उस राज्य का राजा हुआ। 
 करता था।
 उस समय जमींदारों का एक तो वह भी वर्ग भी गांव में रहता था।
 जिसके पास राजा द्वारा दी गई काफी जमीन होती थी।
 और वह गांव में लगन  वसूलने का अधिकार था  इसके एवज में फिर राज्य के अन्य कामों को भी वह देखता था।
 जमीन मिलती थी राजा या उसके अधिकारियों को गांव में ज्यादा दखल नहीं देते थे ।
बस जमींदारों के मार्फत द्वारा   निर्धारित लगान वसूल करते थे।

2 स्थानीय बंदोबस्त की विशेषताओं को बताएं।
उत्तर:- 1789 के आस-पास कंपनी सरकार ने जमींदारों के साथ एक करार किया ।
 इसके तहत जमींदारों द्वारा कंपनी को दिया जाने वाला लगान 10 वर्षों के लिए तय कर दिया गया।
 यह राशि जमींदारों द्वारा किसानों से वसूले गए लगान का 9/10 भाग  तय कर दिया गया आगे चलकर सन 1793 में
इसी राशि को हमेशा के लिए निश्चित मान लिया गया इस राशि में  भविष्य में कोई बढ़ोतरी नहीं होती थी।
 इस व्यवस्था को "स्थानीय बंदोबस्त "का नाम दिया गया।
 जमींदारों को लगान की नियमित राशि नियमित समय पर और सूरज के डूबने से पहले सरकारी कार्यालय में जमा करना होता था।
 अगर ऐसा नहीं कर सकते थे तो उनकी जमीन को नीलाम कर दिया जाता था।
 इस प्रकार जमींदारों को हर साल तय राशि नियत तिथि को जमा करना ही था। यदि किसानों की उपज 100 माना जाए तो अंग्रेजी सरकार को उस में लगभग 45% हिस्सा प्राप्त होता था जमींदारों को उनके कारिंदे अपने लिए करीब 15% हिस्सा वसूलते थे और शेष 40% किसानों के पास बसता था।

3 अंग्रेजी सरकार द्वारा बार-बार भूमि राजस्व व्यवस्था में किये जाने वाले परिवर्तनों को आप किस रूप में देखते हैं अपने शब्दों में बताएं?
उत्तर:- अंग्रेजी सरकार ने गांव से ज्यादा से ज्यादा धन अपने लिए प्राप्त करने के लिए साम्राज्य विस्तार की नीति अपनाई खर्चों के लिए प्राप्त करना चाहती थी ।
इसके लिए उन्होंने वाले बंदोबस्त व्यवस्था की इसके तहत जमींदार द्वारा लगान के रूप में जमा की जाने वाली राशि हमेशा के लिए तय कर दी थी ।
फिर उसने देखा कि यह उचित नहीं था।
 जो कि साल- दर साल उनके खर्चा बढ़ते जा रहे थे और लगान के रूप में आने वाली आय कम हो रही थी तब फिर महालवारी  व्यवस्था की इसके तहत जमींदारों के बदले गांव के बड़े किसान या परिवारों को गांव का लगाना वसूलने का अधिकार दे ।
दिया गया इसके तहद अंग्रेजों ने 50% लगान मिलता था ।
और उसे मात्र 30 वर्षों के लिए लागू किया गया जबकि रैयतवारी  व्यवस्था के तहत कंपनी सरकार से सीधा किसानों से संपर्क किया किसानों को जमीन का मालिक बना दिया गया और सीधे 50% लगान जमा करने को कहा इस व्यवस्था को स्थायी नहीं बनाया गया।
  प्रत्येक 30 वर्ष बाद राशि में बदलाव किया जाना तय किया गया ।
 भूमि राजस्व व्यवस्था में अंग्रेजी सरकार के बार -बार परिवर्तन अधिक से अधिक लाभ कमाने के दृष्टिकोण से किया था।

4 अंग्रेजों की भूमि राजस्व व्यवस्था आज की व्यवस्था से कैसे अलग थी ,संक्षेप में बताइए।
उत्तर:- आज जहां सरकार किसानों से काफी कम राशि भूमि राजस्व के रूप में लेती है।
 और कई सरकारी कर्मचारी अधिकारी इस काम के लिए लगे होते हैं ।
वही अंग्रेजी सरकार भूमि राजस्व के रूप में तब किसान से उनके लाभ का लगभग आधा हिस्सा हड़प लेते थे।
 भूमि राजस्व वसूली का काम जमींदार और उसके कारिंदे करते थे ,कहीं यह  काम कोई बड़ा किसान या परिवार करता था और कहीं कंपनी को लोग स्वयं काम करते थे पर इसका मकसद अधिक से अधिक शोषण करना होता था।

5 नई राजस्व नीति का भारतीय समाज पर क्या असर हुआ?
उत्तर:- नई राजस्व नीति के कारण आधे पुराने जमींदारों को जमीनों से हाथ धोना पड़ा दरअसल उनके लिए किसानों से लगान के लिए ज्यादा जोर जबरदस्ती करना संभव नहीं था किसानों के साथ उनके पुराने संबंध थे।
 राजस्व व्यवस्था से जमीन का मालिक किसान या जमींदार बन गया इसे लगान समय पर जमा करने के लिए उसे बेचने या बंधक करने का चलन शुरू हो गया इसे गांव में महाजन के रूप में प्रभावी समूह आ गया यह महाजन जमीन के एवज में धन देते थे किसान और जमीदार दोनों इस नय व्यवस्था के कारण भारतीय किसान को दरिद्रता बढ़ती गई और भारतीय समाज में असंतोष बढ़ता गया इसका फलस्वरूप जगह-जगह पर उपद्रव की स्थिति उत्पन्न हो गई कर्ज लेते थे अंग्रेज सरकार को केवल लगान से मतलब था इस नई व्यवस्था का भारतीय समाज पर बुरा प्रभाव पड़ा  भारतीय किसानों की दरिद्रता बढ़ती और भारतीय समाज में असंतोष बढ़ता गया जिसके कारण उपद्रव की स्थिति उत्पन्न हो गई।

6 नील की खेती की प्रमुख समस्याओं की चर्चा करें।
उत्तर:- भारतीय किसानों के दृष्टिकोण से नील की खेती उसके लिए फायदेमंद नहीं थी मजबूरन उन्हें अपनी जमीन के एक हिस्से में नील की खेती करनी पड़ती थी।
 अंग्रेजी अधिकारी इसके लिए उन्हें बाध्य करते थे किसान तो हमेशा से खाद्य फसल ही उपजना  चाहते थे। इससे उन्हें उस साल के लिए खाने का अनाज मिलता था और बुरे दिनों के लिए कुछ अनाज बच जाता था नील की खेती से धान  के फसल में देर हो जाती थी।
 इसे धान की फसल  पर असर होता था साथ ही जिस खेत में नील की खेती होती थी उसमें फसल कटने के बाद उस साल कोई फसल नहीं होती थी इसका असर किसानों के फसल चक्र और अनाज की कमी को दर्शाता था।
जब सूखा या बाढ़ के कारण किसानों का उत्पादन कम होता था तो किसान के पास पहले का रखा अनाज नहीं होता था ऐसे ही स्थिति तो महाजनों से कर्ज  लेते  थे या उन्हें भूखे रहना  होता था।

Vikram kumar
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