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हमारी सोच स्त्रियों के प्रति

हम जब जन्म लेते हैं तो हमारा पहला शब्द माँ होता है और हम जब बड़े होते हैं तो लिंग भेद करते हैं पुरुष तथा स्त्री यहां हम  अपना विचार लिखने की कोशिश कर रहा हूं आशा है कि आप सभी लोगों को पसंद आएगा! अब हम अपने तथ्य के बातों पर चर्चा प्रस्तुत करेंगे एक ही मां के गर्भ से दो बालक या बालिका जन्म लेते हमारे समाज में महिलाओं को  शक्ति का रूप कहां गया तो दूसरी तरफ हम उस बालिका को हर समय प्रताड़ित करते हैं आप सोचते होंगे कि हम ऐसा नहीं करते हैं लेकिन आप हम सभी करते हैं हमें याद है कि हम जब छोटे बालक थे, तो एक कहानी हमने सुनी थी बूढ़ा कबूतर वह सीखा ता  है कि शिकारी आएगा जाल बिछाए गए उसमे में फंसना नहीं लेकिन उसकी बात अन्य कबूतर नहीं मानते और जाल में फंस जाते हैं उसी प्रकार हम अपने परिवार से लेकर समाज तक देखते रहे हैं कि लड़का को अधिक सम्मान प्राप्त होता है जबकि लड़की को वह सम्मान प्राप्त नहीं होता क्या ?आपने सोचा है कि वह भी तो आप ही की एक अंश है और आप से जुड़ा है लेकिन फिर भी हम  विभेदीकरण करते हैं तो हम दूसरों को क्यों शिक्षा देते हैं लेकिन एक बात हम कहना चाहते हैं आप पहल तो कर सकते हैं लेकिन उसके प्रति आप भी उदासीन हैं या आपकी उदासीनता का ही एक रूप है जो कि हम देख रहे हैं