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बच्चे कैसे सीखे?

यह प्रश्न काफी पेचीदा है और हमारी शिक्षा पद्धति से जुड़ा हुआ हमें पीढ़ी दर पीढ़ी प्राप्त होने वाली शिक्षा आज के परिवेश में शिक्षा का तात्पर्य है बालक का विकास करना जो कि हर क्षेत्रों में हो लेकिन पाठ और पाठ्यपुस्तक में अंतर को समझते हुए तथा बच्चों के अनुभव से सीखते हुए ही समाज का निर्माण निहित है आज के परिवेश में शिक्षा एक उद्योग बन कर रह गया है सब जगह समाज में वैसे शिक्षक हैं जिन्हें समाज की शिक्षा से या एनसीईआरटी के विचार का पालन नहीं हो रहा है आप बच्चों को पढ़ाते ही नहीं हैं वह एक  प्रोडक्ट है जिसका हम प्रचार करते हैं हमें अपने बच्चों को भी सिखाना चाहिए की जिम्मेवारी सिर्फ शिक्षक की ही नहीं है वरन समाज परिवार विद्यालय और उस समाज के वातावरण की हैं(१) जो भी विषय कमजोर हो उस विषय के शिक्षक से सीखना तथा उन्हें अपनी संस्कृति समाज तथा अपने देश के साथ साथ नैतिक शिक्षा को देना विद्यालय तथा परिवार का काम हैं भी (२) आप जब सोचेंगे कि हमारा समाज आज अच्छा कर रहा है वह सरकारी स्कूल हो या प्राइवेट सब बच्चों को शिक्षा  देते हैं लेकिन कोई भी नैतिक शिक्षा नहीं देता हैं यह हमारे समाज का दोष है (३) सोचे बच्चों को प्रश्न को सोच कर खुद से उत्तर देने के लिए शिक्षक उसे प्रेरित करना चाहिए ?? पढ़ने का उद्देश्य होता है आप जो पढ़ते हैं या लिखते हैं  वह उसे अपनी बात को अपने अनुभव से जोड़ते हुए समाज के साथ देखेगा तब बालक का विकास होगा ,तो बालक सीखेगा भारतीय संविधान में हमारे मूल कर्तव्य और हमारे यहां सभी बच्चों को प्रतिदिन पढ़ाया जाता है लेकिन जब आप किसी बच्चे से यह पूछते हैं कि उसका अर्थ क्या है तो वह उसका उत्तर नहीं दे पाता आज हमारी विडंबना यह है कि बच्चा शुद्ध -शुद्ध लिख नहीं सकते है तो क्या दोष है अपने कर्तव्यों का पालन करें और इस तरफ भी ध्यान दें