मन एक चंचल है लेकिन हमारी परिवेश पर इसका बहुत प्रभाव पड़ता है जिस प्रकार हमारी सोच होती है मन भी उसी प्रकार काम करता हैं वह हमेशा अपने उस विचारों को व्यक्त करने के लिए अवसर खोजता रहता है हम कभी- कभी कुछ न चाहते हुए भी उस भावना को प्रकट कर देते है जो आपने विचार में भी न हो इसका तपर्य यह होता है कि हम गलती कर लेते हैं जो न चाहते हुए हो जाती है हम जब भी गलती करते है तो दोष दूसरों को देते है लेकिन उनका कारण वह व्यक्ति ही माना जाती है कभी-कभी गलती से सीख भी लेते है लेकिन अपनी दोष को
यह हमारी मना: स्थिति कहते हैं