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आविन्यो पाठ

लगभग दस बरस पहले बार अविंयो गया था दक्षिण फ्रांस में रूम नदी के किनारे बसा एक पुराना शहर लेखक व कवि अशोक बाजपेई का गद्य व कविता संग्रह है यह  फ्रांस का एक प्रसिद्ध कला केंद्र है जहां गर्मी में हर वर्ष कला व
रंग का आयोजन होता है वहां लेखक 19 दिनों तक रहे तथा अपने साथ हिंदी के टाइपराइटर मशीन 3-4 पुस्तकें तथा संगीत के कैसेट भी ले गए थे अशोक बाजपेई को वहां की नदी जिसका नाम( रोन) है बेहद प्रभावित करती है नदी के प्रवाह में वह बह जाताहैं तथा उसे अपने कवि मित्र विनोद कुमार शुक्ल की याद आती है कभी कभी -कभी नदी और कविता दोनों में ही एक ही समानता का अनुभव प्राप्त करता है नदी की प्रवाह हित उसे सूखने नहीं देती है और कविता भी व्यक्ति की भावना व संवेदना को छीन नहीं होने देती है दोनों ने या समानता कवि की रचनाशिल बना देता है पाठ में प्रतीक्षा करते हैं पत्थर हमें क्या संदेश देती है वह दृढ़ निश्चय स्वाभिमानी संकल्पशिल  निर्भय और धैर्यशील है या गुण व्यक्ति मात्र को श्रेष्ठ बनाता है एक कविता बनती है कैसे तुम नदी हो उत्तर हो सकता है जैसे तुम कविता!